Mithak , livre ebook

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A decoding of Hindu mythology. Hindus have one God. They also have 330 million gods: male gods; female gods; personal gods; family gods; household gods; village gods; gods of space and time; gods for specific castes and particular professions; gods who reside in trees; in animals; in minerals; in geometrical patterns and in man-made objects.Then there are a whole host of demons.But no Devil.In this groundbreaking book Dr Devdutt Pattanaik; one of India's most popular mythologists; seeks an answer to these apparent paradoxes and unravels an inherited truth about life and death; nature and culture; perfection and possibility. He retells sacred Hindu stories and decodes Hindu symbols and rituals; using a unique style of commentary; illustrations and diagrams. We discover why the villainous Kauravas went to heaven and the virtuous Pandavas (all except Yudhishtira) were sent to hell; why Rama despite abandoning the innocent Sita remains the model king; why the blood-drinking Kali is another form of the milk-giving Gauri; and why Shiva wrenched off the fifth head of Brahma.Constructed over generations; Hindu myths serve as windows to the soul; and provide an understanding of the world around us. The aim is not to outgrow myth; but to be enriched and empowered by its ancient; potent and still relevant language. Note: This book is in the Hindi language and has been made available for the Kindle, Kindle Fire HD, Kindle Paperwhite, iPhone and iPad, and for iOS, Windows Phone and Android devices.
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Date de parution

15 mai 2015

EAN13

9789352140640

Langue

English

Poids de l'ouvrage

2 Mo

डॉ. देवदत्त पटनायक


मिथक
हिंदू आख्यानों को समझने का प्रयास
अनुवाद आलोक कुमार
सभी रेखांकन लेखक द्वारा
अनुक्रम
लेखक के बारे में
लेखक की अन्य पुस्तकें
समर्पण
लेखक की ओर से कुछ टिप्पणियां
परिभाषाएं
किताब को कैसे पढ़ें : लेखक और अनुवादक के सुझाव
प्रस्तावना : मिथक जिसमें मिथक का अर्थ, इसका मूल्य और इसकी अभिव्यक्ति की व्याख्या की गई है
1. ब्रह्मा और सरस्वती का वृत्त जिसमें ब्रह्मांड की प्रकृति की खोज की गई है
2. विष्णु और लक्ष्मी का चतुर्भुज जिसमें प्राकृतिक कानूनों से सांस्कृतिक संहिता को अलग करके देखा जाता है
3. शिव और शक्ति का बिंदु जिसमें आत्मा की अनुभूति होती है और पदार्थ को वैधता मिलती है
संदर्भ ग्रंथ
पेंगुइन को फॉलो करें
सर्वाधिकार
पेंगुइन बुक्स
मिथक
डॉक्टर देवदत्त पटनायक ने मेडिकल साइंस में शिक्षा-दीक्षा हासिलकी है। हालांकि पेशे से वो मार्केटिंग मैनेजर हैं और रुचि से पौराणिककथाकार। आपने मुंबई यूनिवर्सिटी में तुलनात्मक मिथोलॉजी के कोर्समें सर्वश्रेष्ठ स्थान हासिल किया। आधुनिक भारत में धार्मिक कथाओं,चिह्नों और विधि विधानों पर व्याख्यान देने के लिए आप चर्चितहैं। डॉक्टर पटनायक की कुछ किताबें ये हैं- शिवा : ऐन इंट्रोडक्शन (वीएफएस, इंडिया), विष्णु : ऐन इंट्रोडक्शन (वीएफएस, इंडिया), देवी : ऐन इंट्रोडक्शन (वीएफएस इंडिया), हनुमान : ऐन इंट्रोडक्शन(वीएफएस, इंडिया), लक्ष्मी : ऐन इंट्रोडक्शन (वीएफएस इंडिया), कृष्णा : ऐन इंट्रोडक्शन (वीएफएस इंडिया), शिव टू शंकर : डिकोडिंगद फैलिक सिंबल (इंडस सोर्स, इंडिया), गॉडेज इन इंडिया (इनरट्रेडीशंस, यूएसए), मैन हू वाज ए वूमन एंड अदर क्वीयर टेल्स फ्रॉमहिंदू लोर (हैरिंग्टन प्रेस, यूएसए) और इंडियन मिथोलॉजी : स्टोरीज,सिंबल्स एंड रिटुअल्स फ्रॉम द हर्ट ऑफ द सबकंटीनेंट (इनर ट्रेडीशंस,यूएसए)। काली पर लिखी किताब द बुक ऑफ काली (पेंगुइन,इंडिया) उनके व्याख्यानों पर आधारित है।
आलोक कुमार पिछले 13 वर्षों से अधिक समय से पत्रकारिता मेंसक्रिय हैं। 2001 में आईआईएमसी, नई दिल्ली से पत्रकारिता मेंस्नातकोत्तर डिप्लोमा करने के बाद उन्होंने यूनीवार्ता, बीबीसी हिंदीसेवा और सहारा समय की द्विभाषीय वेबसाइट के संपादकीय प्रभारीके बतौर काम कर चुके हैं।
पेंगुइन द्वारा हिंदी में प्रकाशित डॉ. देवदत्त पटनायक की अन्य पुस्तकें

जय
सीता
सभी भगवानों, भगवतियों, देवताओं,
देवियों, दानवों और देवदूतों को समर्पित
लेखक की ओर से कुछ टिप्पणियां अलग-अलग धर्मग्रंथों में वर्णित कहानियों को मैंने अपने तरीके से इसपुस्तक में वर्णित किया है। कई बार एक ही कहानी के विभिन्न ग्रंथोंमें पाए जाने वाले भिन्न रूपों के ब्योरों को शामिल करने के लिएकाव्यात्मक शैली में मैंने कहानी को सरल भी बनाया है, हालांकि ऐसाकरते हुए मूल भावना का खयाल रखा गया है। अनंत दिव्यों के लिए ‘ईश्वर’, ‘भगवान’ या ‘परमात्मा’ और ‘भगवती’शब्दों का इस्तेमाल किया गया है जबकि सीमित दैवीय स्वरूपों के लिएदेवता या देवी का शिव भगवान हैं जबकि इंद्र देवता। इसी तरह दुर्गाभगवती हैं और गंगा देवी। संस्कृत में शब्दों को नामों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।जैसे माया भ्रम का साकार दिव्य भगवती हैं जबकि माया भ्रम को भीकहते हैं। इस किताब में हिंदू आख्यानों को इस निम्नलिखित विश्वास के साथआसानी से समझाने की कोशिश की गई है।
असीमित मिथकों के पीछे छिपा है शाश्वत सत्य
इन सबको किसने देखा है?
वरुण की हज़ार आंखें
इंद्र की सौ
और मेरी सिर्फ दो!!
परिभाषाएं
पश्चिमी चिंतन प्रक्रिया के आदी लोगों के लिए हिंदू विश्वदृष्टि चौंकाने वाली होसकती है, अगर हम अंग्रेजी शब्द मिथ (जिसके लिए हिंदी में ‘मिथक’ शब्द चलनमें है) की पुरानी परिषाओं (‘अतार्किक, अविवेकपूर्ण, असत्य’) को चुनौती नहीं देंऔर इसके लिए नई परिभाषा (‘कथाओं, प्रतीकों और अनुष्ठानों में व्यक्त आत्मपरकसत्य, जो भारतीय या पश्चिमी, प्राचीन या आधुनिक, धार्मिक या धर्मनिरपेक्ष सभीसंस्कृतियों को गढ़ता है’) नहीं पेश करें। आत्मपरक सत्य के लिए संस्कृत शब्द‘मिथ्या’ है—जो वस्तुगत सत्य का विपरीत नहीं बल्कि सत्य की (जो असीम है)एक सीमित अभिव्यक्ति है।
हिंदी अनुवाद में, इन सीमाओं को दृष्टि में रखते हुए, अंग्रेजी के ‘मिथ’शब्द के लिए मुख्यतः ‘आख्यान’ का उपयोग किया जा रहा है।
किताब को कैसे पढ़ें
लेखक के सुझाव
ये आवश्यक नहीं कि आप किताब को क्रमवार ही पढ़ें। हालांकि इसका अपनालाभ है पर आप कभी भी किसी पन्ने या अध्याय पर जा सकते हैं। किसी भीचित्र को देख सकते हैं, उसके नीचे लिखा कैप्शन पढ़ सकते हैं और किसी तालिकापर नजर डाल सकते हैं। अगर आप क्रमवार पढ़ना चाहते हैं तो आराम से धीरेधीरे पढ़ें। समझने के लिए थोड़ा समय लें और लिखित विचारों का आनंद लें, फिरआगे बढ़ें।
अनुवादक के सुझाव
आख्यानों की कहानियां कहने और समझने का यह नया और अपनी तरह का अनूठाप्रयास है। इसके अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद के दौरान यह बात बहुत साफ तौर सेसमझ में आती है कि इन दोनों भाषाओं की दुनिया किस कदर अलग-अलग तरीकेसे सोचती है और यह भी कि हम हिंदी बोलते हुए भी अंग्रेजी में सोचने के आदीबन गए हैं। इसलिए यह किताब पाठकों से पढ़ते और समझने के लिए धीरजकी मांग करती है।
प्रस्तावना : मिथक
जिसमें मिथक का अर्थ, इसका मूल्य और इसकी अभिव्यक्ति कीव्याख्या की गई है
प्रत्येक व्यक्ति मिथक में जीता है। हालांकि यह खयाल ही अधिकतर लोगों को विचलितकर देगा। क्योंकि पारंपरिक तौर पर मिथक का मतलब होता है असत्य। कोईभी असत्यता में जीना नहीं चाहता। प्रत्येक व्यक्ति मानता है कि वह सच्चाई मेंजी रहा है।
लेकिन सच्चाई के अनेक प्रकार होते हैं। कुछ वस्तुगत सच्चाइयां होती हैंतो कुछ आत्मपरक। कुछ तार्किक तो कुछ अंतर्ज्ञानात्मक। कुछ सांस्कृतिक तो कुछसार्वभौम। कुछ प्रमाणों पर आधारित होती हैं तो कुछ आस्थाओं पर। मिथक एकऐसी सच्चाई है जो आत्मपरक, अंतर्ज्ञानात्मक, सांस्कृतिक और आस्था की भूमिपर अवस्थित है।
प्राचीन यूनानी दार्शनिक मिथक (आख्यान) को मिथोज के रूप में जानतेथे। उन्होंने मिथोज और लोगोज को अलग अलग रखा था। मिथोज से अंतर्ज्ञानात्मककथाएं उत्पन्न हुईं, लोगोज से तर्कसंगत चिंतन पैदा हुआ। मिथोज ने चमत्कारोंऔर कलाओं को जन्म दिया। लोगोज से विज्ञान और गणित पैदा हुए। लोगोजने इसकी व्याख्या की कि सूर्य कैसे उगता है और शिशु कैसे जन्म लेता है। लेकिनउसने इसके पीछे के उद्देश्यों यानी ‘क्यों’ की व्याख्या नहीं की। सूर्य क्यों उगताहै? शिशु क्यों जन्म लेता है? पृथ्वी पर मनुष्य का अस्तित्व क्यों है? जवाबों केलिए मिथोज के पास जाना पड़ेगा। मिथोज अस्तित्व को उद्देश्य, अर्थ और वैधताप्रदान करते हैं।
प्राचीन हिंदू ऋषि मिथक को मिथ्या के रूप में जानते थे। उन्होंने सत सेमिथ्या को अलगाया था। मिथक एक ऐसा सत्य था जिसे संदर्भों के चौखटे मेंदेखा जाता है। सत ऐसा सत्य था जो किसी भी संदर्भ के चौखटे से परे होताहै। मिथ्या यथार्थ की एक सीमित और विरूपित दृष्टि प्रदान करता था और सतचीजों की एक असीम और सही दृष्टि प्रदान करता था। मिथ्या भ्रांति था, जिसमेंसुधार की गुंजाइश थी। सत हरेक तरह से सच, निरपेक्ष और परिपूर्ण था। हालांकिसीमाहीन और परिपूर्ण होने के कारण सत को प्रतीक में नहीं समेटा जा सकताया उसे शब्दों सीमित नहीं किया जा सकता। शब्द और प्रतीक बुनियादी तौर परअपूर्ण और दोषपूर्ण हैं। इसलिए सत संचार से बच निकलता है। संचार के लिएप्रतीकों और शब्दों की जरूरत पड़ती है, वे चाहे जितने भी अपूर्ण या दोषपूर्ण हों।हजारों अपूर्ण और दोषपूर्ण प्रतीकों और शब्दों के जरिए सत की अनंत परिपूर्णताऔर सीमाहीनता को दर्ज करना या कम से कम उसकी ओर इंगित करना संभवहै। इसीलिए मिथ्या का भ्रांति ने ऋषियों के लिए सत की सच्चाई में खुलती एकबुनियादी खिड़की का काम किया।
मिथक बुनियादी तौर पर एक सांस्कृतिक रचना होती है, यह विश्व की एकसाझी समझ होती है जो व्यक्तियों और समुदायों को आपस में बांधती है। यहसमझदारी धार्मिक या धर्मनिरपेक्ष हो सकती है। पुनर्जन्म, स्वर्ग और नरक, देवदूतऔर दानव, प्रारब्ध और मुक्त इच्छा, पाप, शैतान और मोक्ष धार्मिक मिथक हैं।संप्रभुता, राष्ट्र राज्य, मानवाधिकार, महिलाओं के अधिकार, पशुओं के अधिकारऔर समलैंगिकों के अधिकार धर्मनिरपेक्ष मिथक हैं। धार्मिक हों या धर्मनिरपेक्ष,सभी मिथक लोगों के एक समूह के भीतर ही एक मजबूत बोध का निर्माण करतेहैं। विश्व के हरेक व्यक्ति के लिए नहीं। उनको एक बिंदु के बाद तर्कसंगत नहींठहराया जा सकता। अपने अंतिम विश्लेषण में, आप या तो उनको कबूल करतेहैं या उन्हें कबूल नहीं करते हैं।
अगर मिथक एक विचार है, तो मिथक शास्त्र (माइथोलॉजी) उस विचारका वाहक है। मिथक शास्त्र कथाओं, प्रतीकों और कर्मकांडों से मिल कर बनताहै, जो एक मिथक को साकार बनाते हैं। कथाएं, प्रतीक और अनुष्ठान बुनियादीतौर पर भाषाएं हैं। भाषाएं जिन्हें सुना, देखा और प्रदर्शित किया जा सकता है।एक साथ मिल कर वे एक संस्कृति के सत्य का निर्माण करती हैं। पुनरुत्थान कीकथा, सलीब का प्रतीक और बप्तिस्मा का अनुष्ठान एक विचार की स्थापना करताहै, जो कि ईसाइयत है। स्वतंत्रता की कहानी, राष्ट्र ध्वज का प्रतीक और राष्ट्रगान का अनुष्ठान एक राष्ट्र राज्य के विचार को सुदृढ़ बनाते हैं।
आख्यान में अतिशयोक्तिपूर्ण और विलक्षण होने की प्रवृत्ति होती है ताकिवे किसी मिथक को साकार कर सकें। यह अनुमान लगाना आधुनिक अहंकार हैकि प्राचीन समय में लोग कुंवारी कन्याओं, उड़ने वाले घोड़ों, बीच से बंटे हुए समुद्रों,बातें करने वाले सांपों, छह सिरों वाले देवों और आठ हाथों वाले दानवों में सचमुचयकीन करते थे। ऊपर से अतार्किक लगने वाले इन कथानकों और चरित्रों कीपवित्रता यह सुनिश्चित करती है कि उन्हें दोषरहित तरीके से एक पीढ़ी से दूसरीपीढ़ी तक ले जाया जाए। उनकी वैधता को चुनौती देने की किसी भी कोशिशको बर्दाश्त नहीं किया जाता। उन्हें संपादित करने की किसी भी कोशिश को गुस्सेका सामना करना पड़ता है। इन कथाओं की अयथार्थवादी सामग्री इस संचार केपीछे निहित विचारों की तरफ ध्यान खींचती है। कुंवारी कन्याओं और बंटे हुएसमुद्रों के पीछे एक ऐसी सत्ता है जो प्रकृति की समूची सत्ता से भी महान है।छह सिरों वाला एक देवता और आठ हाथों वाला एक दानव एक ऐसे ब्रह्मांड कीतस्वीर पेश करना है जहां अनंत संभावनाएं हैं भले वो अच्छी हों या बुरी।
मिथकों से आस्थाएं बनीं और मिथकशास्त्र से रीति-रिवाज। आख्यान विचारोंऔर भावनाओं को एक स्वरूप देते हैं। मिथक शास्त्र व्यवहारों और संचार कोप्रभावित करता है। इस तरह मिथक और मिथक शास्त्र का संस्कृति पर गहरा प्रभावपड़ता है। इसी तरह, संस्कृति मिथक और मिथक शास्त्र पर प्रभाव डानती है। मिथकऔर मिथक शास्त्र जब लोगों की सांस्कृतिक जरूरतों को पूरा करने में नाकामरहते हैं तो लोग उनको पीछे छोड़ कर आगे बढ़ जाते हैं। जब तक मिस्र के लोगोंको ओसिरिस द्वारा शासित परलोक में यकीन रहा, वे पिरामिड बनाते रहे। जबतक यूनानी लोगों को मृतकों के मांझी शैरोन में यकीन रहा, वे मृतकों के मुंहमें तांबे के सिक्के रखते रहे। आज कोई भी ओसिरिस या शैरोन में यकीन नहींकरता। इसलिए आज कोई पिरामिड नहीं बनाया जाता, कोई मृतकों के मुंह मेंसिक्का नहीं रखता। इनकी जगह आज नए आस्था तंत्रों के परिणामस्वरूप नएअंतिम संस्कार हैं, नए मिथकों पर आधारित नए मिथक शास्त्र हैं, जिनमें से हरेकमृत्यु की दर्दनाक अपरिहार्यता और रहस्य का सामना करने में लोगों की मदद करतेहैं।
यह विडंबना है कि हम तार्किकता को कितना भी महत्व दें, जीवन मुख्यतःअतार्किकता द्वारा संचालित होता है। प्रेम तार्किक नहीं है। पीड़ा तार्किक नहीं है।घृणा, महत्वाकांक्षा, क्रोध और लालच अतार्किक हैं। यहां तक कि सदाचार, नैतिकताऔर सौंदर्यशास्त्र तार्किक नहीं हैं। वे उन मूल्यों और मानकों पर निर्भर करते हैंजो अंततःआत्मपरक हैं। जो एक समूह के लोगों के लिए सही, पवित्र और सुंदरहै, उसका लोगों के एक दूसरे समूह के लिए सही, पवित्र और सुंदर होने की जरूरतनहीं है। यहां तक कि हरेक मत

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