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pages
English
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2015
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Publié par
Date de parution
01 avril 2015
Nombre de lectures
1
EAN13
9789352140671
Langue
English
Poids de l'ouvrage
1 Mo
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Date de parution
01 avril 2015
EAN13
9789352140671
Langue
English
Poids de l'ouvrage
1 Mo
डॉ. एपीजे. अब्दुल कलाम वाई.एस. राजन
2020 और उसके बाद
आने वाले कल के भारत की एक तस्वीर
अनुवाद नवेद अकबर
अनुक्रम
लेखक के बारे में
प्रस्तावना : ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
1. 2014 में भारत
2. खोए हुए अवसरों से सीखना
3. कृषि की मुक्ति
4. निर्माण: विशाल संभावनाएं
5. खनन: हमारे प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य संवर्धन
6. बुनियादी सुविधाएं: अर्थव्यवस्था की अस्थि–मज्जा
7. जैव विविधता: वाणिज्य और संरक्षण में संतुलन
8. जीवन की कैमिस्ट्री
9.ज्ञान अर्थव्यवस्था का तंत्रिका नेटवर्क
10. अपशिष्ट से समृद्धि तक
11. सबके लिए स्वास्थ्य
12. राष्ट्रिय सुरक्षा: ताक़त, ख़ुफ़िया तंत्र एवं सात सतर्कता
13. शिक्षा का रूपांतरण
14. उभरती प्रौद्योगिकियां बराबरी करना और आगे निकलना
15. क्या भारत यह कर सकता है?
मिशन
आभार
टिप्पणियां
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सर्वाधिकार
पेंगुइन बुक्स
2020 और उसके बाद
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के सबसे ज़्यादा प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों मेंसे एक हैं । भारत के पहले उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी–3 एवं सामरिकमिसाइलों के विकास और परिचालन का श्रेय आपका जाता है। सूचनाप्रौद्योगिकी, पूर्वानुमान एवं आकलन परिषद के अध्यक्ष के रूप में आपनेइंडिया विज़न 2020 का संचालन किया, जो देशव्यापी क्रियान्वयन केलिए एक विकास प्रणाली के रूप में पुरा पर फ़ोकस करते हुए 2020 तकभारत को आर्थिक रूप से विकसित राष्ट्र में बदलने की कार्य योजना थी ।
कलाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधानएवं विकास संस्थान (डीआरडीओ) में विभिन्न पदों पर आसीन रहे हैं औरभारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार रहे हैं जिसका स्थान कैबिनेटमंत्री के समकक्ष होता है ।
2002–2007 के बीच भारत के राष्ट्रपति रहे कलाम को तिरासीविश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट एवं देश के तीन सर्विच्च नागरिकपुरस्कार प्राप्त हैं–पद्म भूषण ( 1981), पद्म विभूषण ( 1990) एवं भारतरत्न (1997) ।
कशास विभिन्न विषयों पर पंद्रह पुस्तकें लिख चुके हैं जिनका विश्वकी अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है । आपकी सर्वाधिक चर्चित पुस्तकेंहैं विंग्स ऑफ़ फ़ायर,इंडिया 2020: ए विज़न फ़ार ए न्यू मिलेनियम,इग्नाइटेड माइंड्स और टार्गेट 3 बिलियन। वर्तमान में आप अनेक अंतरराष्ट्रियसंस्थानों में सामाजिक विकास पर व्याख्यान देते हैं और विभिन्न सामाजिकमिशनों पर शोधस् में सलग्न हैं ।
यज्ञास्वामी सुंदर राजन प्रौद्योगिकी विकास, बिज़नेस मैनेजमेंट औरसामाजिक कड़ियों पर एक विख्यात विशेषज्ञ और वैचारिक अग्रेता हैं।1988 से 2002 के बीच आपने विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े विभिन्नमहत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और महत्वपूर्ण नीतियों को आकार दियाएवं उद्योग की भागीदारी के साथ अनेक सफल अनुसंधान एवं विकासपरियोजनाओं का लागू किया । टैक्नोलॉजी विज़न 2020 से संबंधित अनेकदस्तावेज़ों के निर्माण का श्रेय आपको है । सरकार में तीस साल तक कार्यकरने के खाद आप 1996 में भारतीय उद्योग परिसंघ में सम्मिलित हो गए,जहां 2004 से 2010 तक आप मुख्य सलाहकार रहे।
संप्रति आप इसरो, बंगलौर के अंतरिक्ष विभाग में मानद प्रतिष्ठित प्रोफ़ेसरएवं एनआईटी, मणिपुर के बोर्ड आँफ़ गवर्नर्स में अध्यक्ष हैं, आपको 2012में पद्मश्री प्रदान किया गया था।
नवेद अकबर अनुवाद से काफ़ी लंबे अरसे से जुड़े हैं । अन्य पुस्तकोंके अतिरिक्त आपने ख़ुशवंत सिंह की पैराडाइज़ एंड अदर स्टोरीज़, इफ्तिख़ारगीलानी की माई डेज़ डन प्रिज़न, विक्रम चंद्रा की सेक्रेड गेम्स, अभिताभघोष की सी ऑफ़ पॉपीज़ और बी.एस. नायपॉल की ए हाउस फ़ॉर मि.बिस्वास जैसी प्रसिद्ध पुस्तकों का अनुवाद किया है ।
महर्षि पतंजलि ने लगभग 2500 बर्ष पहले ये गूढ़ उद्गार व्यक्त किए थे :
जब आप किसी महान उद्देश्य, किसी असाधारण कार्य के लिए प्रेरित होतेहैं तो आपके सारे विचार अपनी सीमाएं तोड़ देते हैं। आपका मस्तिष्कसीमाओं से परे निकल जाता है, आपकी चेतना प्रत्येक दिशा में फैल जातीहै, और आप स्वयं को एक नए, महान और अद्भत संसार में पाते हैं ।सुप्त बल, शक्तियां और गुण जीवंत हो जाते हैं, और आप स्वयं को उससेउत्तम व्यक्ति पाते हैं जितना अब तक आपने अपने होते की कल्पना कीथी ।
हमारे वर्तमान और भावी नेता, भले ही वे किसी भी दल के हों, हमारावैज्ञानिक समुदाय, हमारा औद्योगिक नेतृत्व, और हमारे किसान एवं अधिकारी,और सर्वोपरि हमारे साठ करोड़ शक्तिशाली युवा प्रतिदिन इस शानदार संदेश कोक्यों नहीं देखते जो एक महान संत भारत को और विश्व को देकर गया था?
अगर राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक कहे ‘मैं यह कर सकता हूं!’ तो इसकीपरिणति हम सबके यह कहने में होगी ‘हम यह कर सकते हैं!’ और अंततःपरिणाम होगा ‘राष्ट्र यह करेगा!’
प्रस्तावना
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
हमारी पुस्तक 2020 और उसके बाद में पंद्रह अध्याय हैं जिनमें विस्तार से बतायागया है कि उद्योगो, सेवाओं और कृषि के मिशनों को शीघ्रता से पूरा कर के किसतरह देश को प्रगति से प्रगति की ओर ले जाया जाए । मुझे लगता है कि हपारेदेश में योजनाओं की कमी नहीं, बल्कि योजनाओं को लागू करने के लिए सहीकार्यप्रणाली पर पहुंचना और यह समझ पाना एक बड़ी ज़रूरत है कि उन लोगोंतक लाभ कैसे पहुंचे जिनके लिए योजनाएं बनाई गई हैं।
आज भारत के सामने और वस्तुतः हर देश के सामने चुनौती लक्षित बर्गतक सुधारों और लाभों को पहुंचाना है । अपने अध्यापन और शोध संपर्कों के दौरानभारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ किए अपने काम के आधार परमैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि एक दीर्घकालिक विकास प्रणाली के ढांचे कोविकसित करना आवश्यक है, उसी तरह जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं प्रदानकरने (पुरा) की परियोजना ने भारत में जड़ें जमा ली हैं। दीर्घकालिक विकासकिस तरह हमारे देश की लक्षित जनसंरख्या तक पहुंच सकता है हस विषय मेंबहुत शोध एवं कार्य करने की ज़रूरत है । इसलिए, हमने दो अद्भुत प्रणालियांविकसित की हैं: एक का नाम है ‘प्रयोक्ता समुदाय पिरामिड’ और दूसरी है‘रामाजिक विकास रडार ।’
पिरापिड के निचले स्तर पर मौजूद संभावित प्रयोक्ताओं के साथ दीर्घकालिकविकास के लिए प्रौद्योगिकियों एवं अनुप्रयोगों पर आधारित प्रयोक्ता समुदायपिरामिड (यूसीपी) एक एकाकृत हल है । आपको स्वयं से पूछना होगा कि जल,ऊर्जा, अपशिष्ट, प्रदूषण, गतिशीलता और जैव विविधता के क्षेत्रों में आप किसकिस्म के अनुसंधान पर फोकस कर सकते हैं, और किस तरह यह प्रयोक्तासमुदाय से जुड़ सकता है। दूसरी प्रणाली, सामाजिक विकास रडार (एसडीआर)पुनर्विलोकन एवं परिवीक्षण करता है कि किस प्रकार प्रयोक्ता समुदाय यूसीपीसे लाभान्वित हुआ है । अपने अनुभव और उसके बाद मिले फ़ीडबैक के आधारपर मैं दोनों प्रणालियों के बारे में बताऊंगा जिनसे एक पुस्तक टार्गेट 3 बिलियन 1 अस्तित्व में आई थी ।
प्रयोक्ता समुदाय पिरामिड
दीर्घस्थायी विकास मानव विकास की एक प्रणाली को व्यक्त करता है जिसमेंसंसाधन पर्यावरण का संरक्षण करते हुए मानव आवश्यकताओं को पूरा करनेके लिए लक्ष्यों का प्रयोग करते हैं ताकि ये आवश्यकताएं न केवल वर्तमानमें बल्कि आने वाली पीढ़ीयों के लिए भी पूरी हो सेकें । अब तक विश्व नेसामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में तीव्र विकास देखा है । लेकिन क्षीणहोते प्राकृतिक संसाधनों और तेज़ी से बढ़ती आबादी (वर्तमान में विश्व कीसात अरब से अधिक) के कारण आज मानव जीवन के हर पक्ष में और अर्थव्यवस्थाके हर क्षेत्र में दीर्घस्थायी विकास के बारे में सोचना अनिवार्य हो गया है। मेंअकसर ख़ुद से पूछता हूं, अनेक स्थलीय और मोबाईल नेटवर्कों, रिमोट सेसिंगऔर संचार उपग्रहों, अनेक स्थलीय सैंसरों, उड़ान प्रणालियों और विभिन्न डाटाग्रहण करने वाली प्रणालियों से प्राप्त सारे डाटा से हम क्या सीखते हैं? जबहम डाटा का विश्लेषण करते हैं, तो उससे मिलने बाले वे लाभ क्या हैं जिन्हेंदुनिया की तीन अरब ग्रामीण आबादी के जीवनस्तर को बेहतर बनाने के लिएउन्हें सूचना, ज्ञान और बुद्धि से सशक्त करने के लिए उन तक पहुंचाया जासकता है? यूसीपी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतमउपयोग करके विकास को लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रौद्योगिकियों के समागमका प्रयोग करता है ।
यूसीपी संरचना की मेरी परिकल्पना निम्न को जोड़ती है: प्राकृतिक संसाधन सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों का समागम सामाजिक व्यापारिक मॉडल अनुप्रयोग प्रयोक्ता
अब हम विस्तार में चर्चा करेंगे कि दिए गए प्रयोक्ता समुदाय पिरामिडमें कैसे दीर्घस्थायी विकास प्राप्त किया जा सकता हैं। प्रौद्योगिकियों की सहायतासे पर्यावरण की रक्षा करने और दीर्घस्थायी विकास लाने के लिए ज़मीनी स्तरपर अनेक राष्ट्रिय उपक्रम काम कर रहे हैं उदाहरण के लिए : सुरक्षित पेयजल और सिंचाई के जल के लिए दीर्घस्थायित्व प्रौद्योगिकी और उत्कृष्ट व्यवहार द्वारा प्रदूषण को कम करना जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों को अपनाना चल संसाधनों का प्रबंधन कस्ना ताकि वे पर्यावरण को प्रभावित न करें और स्वास्थ्य और पर्यावरण को और अधिक हानि न पहुंचाएं । जैव विविधता को समृद्ध करें, और उसके द्वारा देश में शांति और आर्थिक समृद्धि लाएं।
यूसीपी का उद्देश्य हन उपक्रमों को प्रयोक्ता समुदाय के दीर्घकालीन लाभ की दिशा में फ़ोकस करना है।
यूसीपी के घटक हस प्रकार हैं:
पिरामिड का आधार: यूसीपी में प्रयोक्ताओ को पिरामिड का आधार कहतेहैं—वे सभी आर्थिक गतिविधियों की अहम कड़ी और दीर्घस्थायी विकास केहिभागी हैं।
संसाधन: प्राकृतिक संसाधन दीर्घस्थायी विकास का अपर हैं। हमारेपास समुद्र, भूमि, नदियां, पहाड़, वन और जलवायु परिवर्तन जैसे प्राकृतिकसंसाधन हैं। पर्यावरण को प्रोत्साहन देने और उसके संरक्षण के लिए ऊपर दिएगए प्रत्येक पक्ष में दीर्घस्थायी विकास आवश्यक है । विज्ञान और प्रौद्योगिकीकी सहायता से और उनके प्रयोग से हम मानव जाति के विकास के लिए प्राकृतिकसंसाधनों का प्रयोग करते रहे हैं । लेकिन इसी के पथ हम कार्बन डाईऑक्साहड उत्सर्जन, वनों की कटाई, औद्योगिक और शहरी अपशिष्ट एवं उर्वरकों से भूमि,समुद्र और नदियों के प्रदूषण के रूप में पर्यावरण को प्रदूषित करते रहे हैं । आज,पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन क्षीण हो रहे हैं और पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है,जिससे बैदिवके तापमान बढ़ रहा है ।
प्रौद्योगिकियों का समागम: आज, प्रौद्योगिकियों के समागम के कारण,जैसे जैव–सूचना–नैनो एवं पर्यावरणीय नवीन र्खाजों से, हमारे पास जल, ऊर्जा,पर्यावरण, प्रदूषण अपशिष्ट प्रबंधन, जैव विविधता और स्वास्थ्य की देखरेखके अनेक उत्पादों और प्रणालियों के लिए रवच्छ एवं हरित तकनीकें हैं । उदाहरणके लिए, सौर प्रौद्योगिकी ने गुजरात में देश को इसका पहला 700 मेगावाटका सौर पार्क दिया है; नैनो–फ़िल्टर तकनीक ने हमें स्वच्छ पेयजल के। हलदिया है; नैनो–पैकेजिंग और पर्यावरणीय प्रौद्योगिकियों ने हमें बायोंडिग्रेडेबल पैकेजिंगहल प्रदान किए हैं । प्रौद्योगिकियों के समागम के प्रयोग से अनुसंधान एवं विकासप्रगति कर रहे हैं जो मानवता को और अधिक स्वच्छ और हरित उत्पाद प्रदानकरेंगे। अब हमें सुनिश्चित करना है कि ये प्राद्योगिकियां सूचना एवं संचारप्राद्योगिकियों का प्रयोग करके और एके सामाजिक बिज़नेस मॉडल विकसितकरके प्रयोक्ता समुदाय तक पहुंचें ।
सूचना एवं संचार: संचार नेटवर्कों और स्थलीय एवं उपग्रहीय नेटवर्किंगमें अपनी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से, सूचना संग्रहण, उत्पादन एवं प्रसार नेभू–स्थानिके प्राद्योगिकियों के समागम के कारण नए आयाम प्राप्त कर लिएहैं । यह प्राकृतिक संसाधनों के। निरीक्षण करने और उन्हें खोजते में, और पर्यावरणको सुधारने और जैव विविधता समृद्ध करने की योजना बनाने में मदद करताहै। प्राप्त सूचना और इसका। विश्लेषण ज्ञान में परिवर्तित होता है। सूचना औरसंचार प्रणालियां स्थलीय और वायरलैस तकनीकों के माध्यम से धरती और अंतरिक्षसे डाटा संग्रहीत करती हैं। उपग्रह नेटवर्क का प्रयोग करके भूमि, जल औरसमुद्र के संसाधनों का पता ल